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"किताबे" जोड़ती है आप को खुद से !!!



न हि ज्ञानेन सदृशं पवित्रमिह विद्यते ।
तत्स्वयं योगसंसिद्धः कालेनात्मनि विन्दति ॥ (३८)


*        भावार्थ : इस संसार में ज्ञान के समान पवित्र करने वाला निःसंदेह कुछ भी नहीं है, इस ज्ञान को तू स्वयं अपने हृदय में योग की पूर्णता के समय अपनी ही आत्मा में अनुभव करेगा। (३८)
*   जो शब्दों का नसा करते है उन्हें मालूम होगा की 23ऐप्रिलको अंतराष्ट्रीय किताब दीन था। किताबे आपको लेजाती है असीमित ज्ञान की और, ओर असीमित ज्ञान  आपको ले जाता है असीमित समज की और, ओऱ असीमित समज ले जाती  है आपको अपनी औऱ सफर जितना अदभूत है नाव भी उतनी ही अदभूत!!!



*      जब ओबामा भारत आए तो उन्हों ने एक व्याख्यान में कहा की "Knowledge is the currency of 21th century" ज्ञान ही इक्कीसवी सदी की पूंजी है

*      ओबामा को तो अभी हाल ही में पता चला की ज्ञान ही सर्वोच्च सता है जो मनुष्य का बाजार चलाती है लेकिन बहोत कम लोगो को मालूम होगा की यह बात कृष्णा ने 5000 हजार साल पहले कुरुक्षेत्र के मेदान में अर्जुन से कही थी  कृष्णा ने परम् ज्ञान देते हुए कहा की " है अर्जुन  चार मुख्य यज्ञो में से सबसे श्रेष्ठ है ज्ञान यज्ञ, जो अकर्म की औऱ ले जाता है, यह यज्ञ तुम्हे वहा पोहचायेगा जहा तुम्हे तुम्हारे होने का भी कोई अहम् नहीं रहेगा "।

*      ज्ञान का मूल स्त्रोत किताबे है स्मार्ट फोन के वर्तमान समय में किताबो का महत्व बहोत कम हुआ है पर जो किताबो के पन्नो की खुश्बू को  प्रेम करते है उनको Kindle  जचता नहीं

*      कभी किसी औऱ की कहानी पढ़ने का मज़ा सिंड्रेला से लेकर एच. जी. वेल्स से गुज़रते हुए जे. के. रोल्लिंग्स की साहसी दुनिया को जी जाने का मज़ा ही अपने आप में एक नसा होता है आर्था क्रिस्टी के हर्क्युला पौरो औऱ सर आर्थर डोएल(औऱ लेखक के प्रिय) के शेरलोक होम्स की तार्किक दृस्टि हमे किसी औऱ ही दुनिया में ले जाती है जहा हम अपने जीवन में ही कितने सारे जीवन जी जाते है दूसरी औऱ रजनीश जैसे प्रखर बुद्ध की किताबे तो साहसी औऱ विद्रोही दुनिया का सफर करवाती है जहा पर समाज औऱ धर्म के सारे नियम ध्वंस हो जाते है औऱ रहती है सिर्फ स्वतंत्रता!!! स्टीफन हॉकिंग जैसे वैज्ञानिक की किताब हमे ले जाती है ब्रम्हांड के अनजाने सफर पर जो जीवन जैसा ही रहस्यमई विषय है कहा जाता है की एक किताब एक दिमाग के बराबर होती है। इंसान जितनी ज़्यादा किताबे पढ़ता है उतना ही ज़्यादा दिमागों का वह मालिक बन जाता है



FYI :-
            दुनिया बदल देने वाली मुख्य तीन महान शोधो में से प्रिंटिग प्रेस की शोध मोरचे पर खड़ी है कहा जाता है की अगर प्रिंटिंग प्रेस ना होता तो Human Species का इतना तेज़ी से विकास कभी हुआ ही न होता जितना तेज़ी से 2000 सालो में हुआ है कागज़ का अविष्कार इसा पूर्व 104 में चीन के नागरिक तस्स- त्साई लूँ ने किया था औऱ दुनिया का पहला प्रिंटिंग प्रेस भी चीन ने 12वी सदी में बनाया था जिसे आगे जाते जर्मनी के गुटन बर्ग ने 1440 में Modify किया  1456 में उन्हों ने पहली बार Bible की 300 प्रतिया छापी थी जिनको उन्होंने पेरिस भेजा था




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