सचिन तेंडुलकर के 90 लाख का दान क्या वाकई में सराहने लायक है ?
* आज कल ट्रेडिंग में चल रहे सचिन तेंडुलकर के दान की वजह से देश के सभी लोगो की आँखों से सचिन तेंडुलकर नामक मसीहा के लिए खुशी के आंसू बह रहे है ! दरशल बात यह है की सचिन ने संसद के तौर पर 6 साल के कार्यकाल पर मिलने वाली सेलेरी (करीब 90 लाख रूपये ) को प्रधानमंत्री योजना को दान दे दिया है ! लेकिन जरा कोई सचिन साहब से यह भी पूछीए की अपनी सिर्फ ८ प्रतिशत अटेंडेंस के दम पर भी पूरी सेलेरी को स्वीकार सही है?
* मसीहा वाला काम तो तब होता जब वह सिर्फ ८% अटेंडेंस के बदले में अपनी सेलेरी मांगते ओर बाकी रकम अपनी और से ठुकरा देते! मुलभूत रूप से सभी सांसदों की सेलेरी 1 लाख 25 हज़ार रूपये होती है तो उस हिसाब से देखा जाए तो सचिन तेंडुलकर की सेलेरी ८ प्रतीसत ऐटेन्डेन्स के मुकाबले सिर्फ 7 लाख 20 हज़ार रुपे होती है ! आज के दिन इस दान की वजह से सचिन तेंडुलकर को एक महान सांसद के रूप में देखा जा रहा है ! लेकिन क्या सचिन वाकई इस ख़िताब के लायक है !? क्रिकेट जगत में निश्चित तौर पे जो सचिन तेंदुलकर ने अपने देश के लिए किया है वह सराहनीय है और कभी भुला नहीं जा सकता ! लेकिन इसका मतलब यह तो नहीं की सचिन जब चाहे तब देश की सर्वोच्च जनसभा में जहा पर लोगो के हित की बात हो रही हो वहा एक स्टार प्लेयर की तरह जब मर्जी आये ओर जब मर्जी न आये। जब जनता ने उन्हें चुना है तो उसका मतलब यह तो नहीं की वह सब जनता के मालिक है जनता द्वारा चुने जाना वाला हर एक नेता ओर प्रतिनिधि उनका सरवन्ट है न की मालिक !
* दूसरी तरफ देखा जाये तो सचिन ने क्रिकेट में जो योगदान दिया है उनसे देश की जनता को कोई सीधा फ़ायदा नहीं है ! जब अश्लियत में उनके पास जनता के लिए कुछ करने का मौका आया तो वह 6 साल मौन ही रहे और 6 सालो को गुजर जाने दिए स्पाइडर मेन मूवी का वह प्रसिद्द वचन जरा याद कीजिये "with great power comes great responsibilities" जब जितनी ज्यादा शक्तिया हाथ में आती है !उनके साथ उतनी जिम्मेदारिया भी आती है ! करीब करीब संभव है की उन्हों ने यह फिल्म न देखि हो पर उन्हें इतना तो सोचना चाहिए था की जब में कुछ कर ही नहीं पा रहा इस शक्ति के साथ तो मुझे इस रस्ते से ही हट जाना बेहतर है और मानुषी तौर पर इस 90 लाख के दान को सर पे चढ़ाने की जनता को जरुरत है ऐसा लगता नहीं ! क्यों की सचिन को यह सेलेरी अपने काम से नहीं मिली है! और शायद इसी लिए वह अपराधभाव की वजह से उन्हों ने यह पैसा दान देने का फैशला किया हो!
* आम तौर पर एक सांसद को एक साल में करीब 331 सवाल संसद में पूछने होते है ! सचिन ने सिर्फ अबतक २२ सवाल पूछे है और जब सचिन कुछ ग्रांट देते है तो मिडिया और समाचारपत्र उन्हें सर पर चढ़ा लेते है ! उदहारण के तौर पर सचिन ने एक जम्मू की स्कूल के लिए 29 लाख रुपए की ग्रांट दी थी ! तो उस समय मिडिया और समाचारपत्र इस ग्रांट को 'सचिन का जम्मू के एक स्कूल को तोहफा ' जैसे महानता वाचक शब्दों से नवाज़ रहे थे ! लेकिन उन्हें कौन समजाये की वह जिसे सचिन का तोहफा घोसित कर रहे वह खुद जनता का ही पैसा है ! इसमें सचिन ने कोई जम्मू की स्कूल पे एहसान नहीं किया है ! तल का मुद्दा यह है की भारत में जब कोई सेलिब्रिटी कुछ भी करे उनके फेन्स उन्हें महानता के चश्मे से ही देखना पसंद करते है ! और देश में जो फेक न्यूज़ को दिखा कर ही लोगो को सर पे चढ़ाया जा रहा है वह सरासर गलत है और लोग इस पे पुनःविचार करे यही उनके लिए बेहतर भविष्य लाएंगे !
* मसीहा वाला काम तो तब होता जब वह सिर्फ ८% अटेंडेंस के बदले में अपनी सेलेरी मांगते ओर बाकी रकम अपनी और से ठुकरा देते! मुलभूत रूप से सभी सांसदों की सेलेरी 1 लाख 25 हज़ार रूपये होती है तो उस हिसाब से देखा जाए तो सचिन तेंडुलकर की सेलेरी ८ प्रतीसत ऐटेन्डेन्स के मुकाबले सिर्फ 7 लाख 20 हज़ार रुपे होती है ! आज के दिन इस दान की वजह से सचिन तेंडुलकर को एक महान सांसद के रूप में देखा जा रहा है ! लेकिन क्या सचिन वाकई इस ख़िताब के लायक है !? क्रिकेट जगत में निश्चित तौर पे जो सचिन तेंदुलकर ने अपने देश के लिए किया है वह सराहनीय है और कभी भुला नहीं जा सकता ! लेकिन इसका मतलब यह तो नहीं की सचिन जब चाहे तब देश की सर्वोच्च जनसभा में जहा पर लोगो के हित की बात हो रही हो वहा एक स्टार प्लेयर की तरह जब मर्जी आये ओर जब मर्जी न आये। जब जनता ने उन्हें चुना है तो उसका मतलब यह तो नहीं की वह सब जनता के मालिक है जनता द्वारा चुने जाना वाला हर एक नेता ओर प्रतिनिधि उनका सरवन्ट है न की मालिक !
* दूसरी तरफ देखा जाये तो सचिन ने क्रिकेट में जो योगदान दिया है उनसे देश की जनता को कोई सीधा फ़ायदा नहीं है ! जब अश्लियत में उनके पास जनता के लिए कुछ करने का मौका आया तो वह 6 साल मौन ही रहे और 6 सालो को गुजर जाने दिए स्पाइडर मेन मूवी का वह प्रसिद्द वचन जरा याद कीजिये "with great power comes great responsibilities" जब जितनी ज्यादा शक्तिया हाथ में आती है !उनके साथ उतनी जिम्मेदारिया भी आती है ! करीब करीब संभव है की उन्हों ने यह फिल्म न देखि हो पर उन्हें इतना तो सोचना चाहिए था की जब में कुछ कर ही नहीं पा रहा इस शक्ति के साथ तो मुझे इस रस्ते से ही हट जाना बेहतर है और मानुषी तौर पर इस 90 लाख के दान को सर पे चढ़ाने की जनता को जरुरत है ऐसा लगता नहीं ! क्यों की सचिन को यह सेलेरी अपने काम से नहीं मिली है! और शायद इसी लिए वह अपराधभाव की वजह से उन्हों ने यह पैसा दान देने का फैशला किया हो!
* आम तौर पर एक सांसद को एक साल में करीब 331 सवाल संसद में पूछने होते है ! सचिन ने सिर्फ अबतक २२ सवाल पूछे है और जब सचिन कुछ ग्रांट देते है तो मिडिया और समाचारपत्र उन्हें सर पर चढ़ा लेते है ! उदहारण के तौर पर सचिन ने एक जम्मू की स्कूल के लिए 29 लाख रुपए की ग्रांट दी थी ! तो उस समय मिडिया और समाचारपत्र इस ग्रांट को 'सचिन का जम्मू के एक स्कूल को तोहफा ' जैसे महानता वाचक शब्दों से नवाज़ रहे थे ! लेकिन उन्हें कौन समजाये की वह जिसे सचिन का तोहफा घोसित कर रहे वह खुद जनता का ही पैसा है ! इसमें सचिन ने कोई जम्मू की स्कूल पे एहसान नहीं किया है ! तल का मुद्दा यह है की भारत में जब कोई सेलिब्रिटी कुछ भी करे उनके फेन्स उन्हें महानता के चश्मे से ही देखना पसंद करते है ! और देश में जो फेक न्यूज़ को दिखा कर ही लोगो को सर पे चढ़ाया जा रहा है वह सरासर गलत है और लोग इस पे पुनःविचार करे यही उनके लिए बेहतर भविष्य लाएंगे !
Superb.. bro..
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