Header Ads

जानीऐ कीस देश मे कीतने प्रकार की‌ भाषाऐ बोली जाती है ।

सब से ज्यादा और सब से कम भाषा किस देश में बोली जाती है । 

 

   

 *              कोन से देश में कितनी भाषाएं बोली जाती है यह उस देश की भैगोलिक परिस्थिति और उसके इतिहास की लकीरों पर निर्भर करता है । अग्नि एशिया का पापुआ न्यू गिनी देश 838 भाषाओ के जुमले के साथ पहले स्थान पर है । इसमें से 738 भाषाओं का उद्वभव तो वहां परही स्थानीय रूप से हूआ है । इस देश का क्षेत्रफल सिर्फ 462840 चोरस किलोमीटर है । मतलब की सिर्फ 625 चोरस किलोमीटर में 1 भाषा उत्पन हुई ऐसा कह सकते है । एक शहर दूसरे शहर से एकदम अलग भाषा बोले यह भेद होने का कारन वहा की भूगोल है । वर्षाजंगलो का पूरा देश पहाड़ी है । सभी तरफ पहाड़ ही पहाड़ है, इसी लिए कभी दो जातिओ का मिलन बड़ी मुश्किल से होता है। इसी कारन दोनों की वसाहतो में अलग अलग भाषाएं जन्मी है ।



*             पापुआ न्यू गिनी की तरह ही भारत, इन्डोनेसिआ और ब्राज़ील में भाषा वैविध्य भूगोल की वजह से आया । तो दूसरी तरफ अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे काफी देशो में भूगोल की बजाये इतिहास की काफी मत्वापूर्ण भूमिका रही है । अमेरिका में यूरोप-एशिया के अलावा मध्य और दक्षिण अमेरिका के वसाहती लोग आये, जिनकी मातृभाषा जर्मन, फ्रेंच, स्पेनिश, रशियन, हिंदी, जापानी ,डच थी । ऑस्ट्रेलिया में भी कुछ ऐसा ही हुआ क्यों की बहोत से अलग अलग देशो के वसाहतीओ लोगो ने ऑस्ट्रेलिया को आपना वतन बनाया । 


*           आज की डेट में जहा 200 से भी ज्यादा भाषा बोली जाती हो ऐसे देशो की संख्या 11 है । दो या तो दो से कम भाषा बोली जाती हो ऐसे देश 9 है । इनमे से 8 देशो में दो भाषा का चलन है । उदारण के तौर पर वेटिकन, आइसलेंड, केप वर्द, मार्शल टापू, सेंट लुसिया, मालदीव, सान मारिनो और सामोआ । इन देशो में दो भाषाए बोली जाती है । और जहा पर सिर्फ एक ही भाषा बोली जाती हो ऐसा दुनिया का एकमात्र देश है साम्यवादी उतर कोरिया ।


*         हाल ही में हुई भाषाशास्त्रीओ की शोध के मूताबिक और कुछ प्रमाणभूत नतीजों के संदर्भ से वैज्ञानिक ऐसा मान रहे है की सभी भाषाओ का उद्भव मूल और दुनिया की सबसे पुरानी भाषा 'प्राकृत' से हुआ है, जो बादमे अपभ्रंस होकर सभी भासाओ में रूपांतरित और विमुद्रित हुई है | मध्य अमेरिका की सबसे पुरानी संस्कृति "माया" के नगर में भी लोगो के द्वारा संस्कृत जाने जाने के प्रमाण मिले है जो चौका देने वाले है | हाल ही में मिले कुछ सिला लेख और कुछ पुरानी तख्तियां दर्शाती है की माया संस्कृति का भारत से और संस्कृत से बोहोत ही गहरा नाता था | "माया" का नाम ही अपने आप में यह दर्शाता है की इस संस्कृति का ज़रुर संस्कृत भाषा से गहरा सम्बन्ध रहा होगा |


* २०० से ज्यादा भाषा बोलने वाले देश

                        देश का नाम                                 भाषाओ की संख्या
 1.                  Papua new guinea                                              838

 2.                  Indonesia                                                            707

 3.                  Nigeria                                                               539

 4.                  Bharat                                                                454

 5.                  America                                                              420

 6.                  Chine                                                                  301

 7.                  Mexico                                                               288

 8.                  Cameroon                                                           281

 9.                  Australia                                                             244

 10.                Brazil                                                                  228

 11.                Kongo                                                                 215





FYI :
          पृथ्वी पर अनगिनत संस्कृतिया है और उन सब संस्कृतिओ में सभी की प्रान्त के हिसाब से या फिर जाती के हिसाब से अलग-अलग भाषाए है | लेकिन फिर भी इतनी सारी भाषाऔ में से एक भी भाषा सम्पूर्ण नहीं है, सिर्फ एक के सिवा | और वह भाषा है "संस्कृत"| संस्कृत का अपना मूल स्त्रोत खुद "प्राकृत" है | संस्कृत अपने आप में इतनी परफेक्ट है की उसके कुछ श्लोक विद्वानों को आजभी चौकाते है | उदाहयण के तौर पर संस्कृत के कुछ श्लोक ऐसे है जिसे अपने मूल रूप से पढ़ने पर भी उसका अलग मतलब निकल सकता है और उसे उल्टा पढ़ने से भी एक मीनिंग फूल सेंटेंस बन सकता है और फिर भी श्लोक का भावार्थ अपने आप में टूटता नहीं |   




No comments

Powered by Blogger.