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डिप्रेशन से बहार आने के लिए जीवन के थोड़े क्षण ध्यान के लिए मेह्फूस रखे


एक  लम्बे अन्तराल के बाद हाय ऑल, आप सोच रहे होंगे की इतना बड़ा अन्तराल किस लिए तो में आप सब को बता दू की आज का विषय भी इसी प्रश्न का जवाब है । वह दौर बोहोत मुश्किल था जब मुझे लिखना बोहोत था पर कुछ सूज नहीं रहा था । यह डिप्रेशनभी बड़ी अजीब सी ब्लैक हॉल जैसी चीज़ है (क्या कहा!!!?ब्लेक हॉल के बारे में नहीं जानते ?तो फिर यह साइट आपके लिए नहीं है। Just kidding☺️ ) । अगर इसमें से निकल ने का आपको रास्ता मिल जाये तो आप को यह खुद तक भी पोहचा सकता है, वार्ना यह आपको खुद से इतना दूर करेगा की आप की पड़छाइ को भी आपको ढूंढने में परेशानी हो सकती है ।
डिप्रेशन के बारे में में जल्दी कुछ लिखूंगा ताकि वाचकगण मेसे कोई भी वाचक अगर डिप्रेशन में है वह आसानी(हाला की डेप्रेसिन से बहार आना इतना आसान नहीं है) से बाहर आ सके. अगर डिप्र्रेशन से लड़ने में आप ना काम रहे है और अगर कोई प्रश्न आप को सताए जा रहा है तो आप के प्रश्न कमेंट बॉक्स में आवकार्य है में जितना जल्दी हो सके आप सब के प्रश्नो का जवाब दूंगा ।
फ़िलहाल तो में आपसे ध्यान के सन्दर्भ में कुछ बाते बताना चाहता हु । :ध्यान : आह्हः शब्द में ही सार छुपा है। अगर आप मुझसे पूछे की ध्यान क्या है तो में कहुगा ध्यान एक ऐसा नशा है जिसके आगे दुनिया के सभी भौतिक नशे धुल चाटते है । डिप्रेशन से अगर कोई वाकई में बहार आना चाहे तो वह इंसान ध्यान की सरण में बेझिजक जा सकता है । ध्यान आप को ऐसे आनंद देगा जहा पर दूसरे सभी आनंद फीके लगेंगे ।
मुझे लगता है आप सभी के मन में यह पढ़कर एक प्रश्न तो वाकई में उठ ही रहा होगा की सिर्फ आंखे बंध करके बैठने से परम आनंद कैसे प्राप्त हो सकता है ? लेकिन मेरा यकिन कीजिये यह कोई शब्दो में बताई जा सके वैसी बात नहीं है यह अनुभव तो स्वयं को ही लेना पड़ता है । जैसे कबीर कहते है : लिखालिखी की है नहीं, देखा देखि है बात । इसी तरह शब्दो पे जाओगे तो अटक जाओगे। भाव पर जाओगे तो पोहोच  जाओगे ।
जो लोग डिप्रेशन से बहार आना चाहते है वह लोग सिर्फ यह दो ध्यान विधिओ का प्रयोग रोजाना करे, यह विधिया आपको धीरे धीरे डिप्रेशन से पूरी तरह से मुक्त करा सकती है । लेकिन अगर कोई इसे सिर्फ अपनी उत्सुकता मिटा ने के लिए उपयोग न करे यह मेरी व्यक्तिगत राय है । ध्यान आपके लिए तभी करगत होगा जब आप का मन दूसरे किसी भी रस्ते पर जाने के लिए नामी भर रहा हो। यानि की अगर आप अपने मन के वह तल पर है जहा पर आपको दुनिया कोई भी चीस प्रभावित नहीं करती तो समज लिजिये की आप ध्यान के लिए बने है ।

१)  रोजमर्रा की शारीरिक क्रियाओ में ध्यान को देखे 

यह ध्यान का विधायक महत्व यह है की यह ध्यान आपको कहीं पर बैठ के या कोई खास वातावरण में नहीं करना । यह ध्यान आप रोजमर्रा की शारीरिक प्रक्रियाओ में भी कर सकते है । जैसे की अगर आप किसी सड़क पे चल के जा रहे है तो अपने पैरो की चलने की प्रक्रिया में पूरा होश बनाये रखे। दूसरी और अपना ध्यान भटकने न दे । अगर आप अपने कंप्यूटर पे कुछ टाइप कर रहे है तो अपना पूरा होश अपनी टाइप करने की प्रक्रिया पर रखे ।
एक बार की बात है । एक आदमी गौतमबुद्ध के पास प्रश्न लेके आया । उसने कहा आपके बड़े चर्चे सुने है, एक प्रश्न मुझे कबसे खाये जा रहा है कृपा करके आप मुझे इस प्रश्न का जवाब दे और बेचैनी से मुक्त करे । कृपा करके मुझे यह बताये की सही कर्म और गलत कर्म की इस दुनिया में बोहोत सारी व्याख्याए सुनी है । आप तो बुद्ध है आप की सही कर्म और गलत कर्म के बारे में राइ क्या है? बुद्ध थोड़े मुस्कुराये और उन्हों ने कहा की जो काम होशपूर्वक किया गया है वह सही है जो काम बेहोसी में किया गया है वह गलत । अगर तुम किसीकी हत्या भी होश में रह कर करोगे तो वह काम गलत नहीं कहा जायेगा क्युकी अगर तुम वाकई में होश में हुए तो अपने आप से यह प्रश्न जरूर पूछोगे की क्या में जो कर रहा हु वह करने की वाकई में मुझे जरुरत है की नहीं?
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२) आज्ञा चक्र पर ध्यान दे 

यह ध्यान का प्राचीन पूर्व में वाकई में बहुत महत्व था। चीन से ले कर अरब के लोगो में भी यह ध्यान बोहोत प्रचलित था । दूसरी और भारत तो सभी ध्यान विधियों का जनक देश कहा जाता है । तो भारत में तो आज्ञा चक्र के ध्यान को बोहोत महत्व दिया जाता था। यह ध्यान को करने के लिए सिर्फ ध्यानी को पद्मासन अथवा सुखासन में बैठना होता है, अपनी रीड की हड्डी को सीधा रखे(सभी इंसानो को किसी भी बैठक में अपनी रीद की हड्डी को सीधा रखना चाहिए क्यों की विज्ञानं और अध्यात्म दोनों के हिसाब से इंसानो की सभी ऊर्जा का वहन माध्यम रीद की हड्डी है(पुरानी पोस्ट देखे सात चक्रो का विज्ञानं )) । अपना अंगूठा और प्रथम ऊँगली को जोड़ के एक वर्तुल जेसा बना ले और दूसरी तीन उंगलिया इस तरह सीधी रखे जिससे उनके बिच में कोई स्पेस न रहे यानि की सभी उंगलीया पूरी तरह से एक दूसरे के सम्पर्क में रेहनी चाहिए । फिर उसके बात अपना पूरा ध्यान दो आखो के ऊपर दो भावो के बिच में केंद्रित करने की कोसिस करे । थोड़ी देर में आज्ञा चक्र में कुछ विब्रेशन्स महसूस होने लगेंगे । बस इसी तरह कम से कम आधा घंटा हर रोज करने से एक सप्ताह में आपके मन के स्तर को ऊपर उठने में मदद मिलेगी ।

ध्यान के बारे में मेने पहले भी बोहोत कुछ लिखा है जो सभी के जीवन में बोहोत उपयोगी है(पुरानी पोस्ट देखे ध्यान के फूल) । यह दोनों विधियों के आलावा मेरे और दुनिया के बोहोतसारे ध्यानिओ के अनुसार दुनिया का सबसे शक्तिशाली ध्यान "विपश्यना" है । कहा जाता है की अब तक जितने भी बुद्ध ( जागृत इंसान : जिन्हो ने अपने आप को जाना है) हुए है उनमे से नब्बे प्रतिसाद बुद्ध विपश्यना ने बनाये है। तो में तो यही कहूंगा की अगर कोई भी ध्यान विधि आप को राज़ न आए तो विपश्यना को पकड़े । जो की दुनिया की सबसे आसान और शक्तिशाली ध्यानविधि है ।   

FOR YOUR INFORMATION :

 वर्ल्ड हेल्थ डे 2018 पर WHO द्वारा जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार भारत "Most depressed country of the world" घोसित किया गया है । भारत में करीब 10 करोड़ लोग तरह-तरह की मानसिक बीमारियों के शिकार है जिनमे से 4 करोड़ लोग अकेले सिर्फ डिप्रेशन के मरीज़ है ।
WHO के अनुसार पूरी दुनिया में 30 करोड़ लोग डिप्रेशन के मरीज़ है जिनमे से ज्यादातर लोग गरीब या कम आय वाले देशो के नागरिक है ।   

Image courtesy : google


2 comments:

  1. Very nice article, it is very helpfull to those who dont beat depression.

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  2. thank you, if you find this article is helpful then please share it to maximum people so everybody can take maximum benefit

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