रात को सोते वक्त देखा हुआ सपना सुबह क्यों याद नहीं रेहता? Science of Dreams
रात को सोते वक्त देखा हुआ सपना सुबह क्यों याद नहीं रेहता? Science of Dreams
* स्वपन के अभ्यास को मेडिकल भाषा में विरोलोग्य कहा जाता है । स्वपन क्यों आते है इसका कारन खोजना मनोवैज्ञानिको के लिये तमाम कोसिसो के बाद भी बड़ा मुश्किलसा और करीब-करीब नामुमकिन सा बन चूका है ।
* स्वप्न का सीधा संबंध याददास्त से है ऐसा वैज्ञानिक मानते है ।
* सपना देखते वक्त दिमाग महत्व की चीजों को याददास्त में स्टोर करता है और बिन उपयोगी चीजों को निकाल देता है, जिसे होता यह है की दिमाग के चेतकोषो को ज्यादा तनाव नहीं सहना पड़ता । नींद के दौरान दिमाग से होते हुए परिवर्तन सपने की माहिती का प्रोसेसिंग और स्टोरेज को याददास्त में निर्धारित करने का समर्थन नहीं करते । यादास्त दरअसल कुछ भी नहीं बल्कि जैसे कम्प्यूटर की पेन ड्राइव या फ्लॉपी डिस्क की तरह दिमाग के स्मृति कोष है जिनमे यादास्त के हिसाब से बदलाव होते रहते है । और उस बदलाव को ही हम यादास्त कहते है, जैसे की अगर आप कही रस्ते से जा रहे हो और आप गिर पड़े तो वह कोष उस घटना को अपने अंदर सिलवटों के तौर पर स्टोर करते है । उन कोषो की आयु कम से कम सौ साल है इसी वजह से वह कोष शरीर के दूसरे कोषो की तरह हररोज नये नहीं बनते ।
* दूसरी तरफ सपना देखते समय दिमाग में एड्रिनालीन और सेरोटोनिन नामक दो रसायनो का लेवल प्रमाण में काफी हद्द तक निचा होता है इसी कारन स्वपन का डेटा स्टोरेज दिमाग में ठीक तरह से नहीं हो पाता।
स्वप्न नीदं के उस तबके में जन्म लेता है जब आँख की मूवमेंट ज्यादा हो और दिमाग काफी हद तक एक्टिव होता है और जागरूक अवस्था का अनुभव होता है ।
* सोते हुए व्यक्ति का दिमागी स्कैन बताता है की फ्रंटल लोब्स यानि दिमाग का वो हिस्सा जो मेमोरी स्टोरेज में महत्व की भूमिका अदा करता है , यह हिस्सा REM (Rapid Eye Moment) की ऊंघ के दौरान निष्क्रिय होता है । उस दौरान Dreaming होती है । कही बार ऐसा भी होता है की नींद के किसी और तबके में भी स्वप्न घटित हो जाए ।
* शंसोधक का अनुमान है की सपने की 5 मिनिट के बाद वो सपना 50% जितना हम भूल चुके होते है ।
* और अगली 5 मिनिट के बाद 90% जितना भूल जाते है ।
और कभी कबार ऐसा भी होता है की नींद से जागते ही हम पूरा सपना भूल जाते है ।
इसी वजह से सपने को पूरा याद रखना काफी मुश्किल है ।
* लेकिन खुछ उपाय है जिसे उपयोग में ला के सपने की याददास्त में काफी सुधार हो सकता है ।
FYI : कई वैज्ञानिक मानते है की रात के सपने पुरे दिन में या कभी कभी किये उस कार्य या घटी घटना से सम्बंधित है लेकिन दूसरी और दुनिया में कुछ ऐसे भी सपने घटे है जिनका उस व्यक्ति से कोई सम्बन्ध नहीं था । और कुछ सपने ऐसे भी है जिन्हो ने दुनिया बदली है । जैसे की जब दुनियाको आर्गेनिक केमिस्ट्री की दिशा में कुछ नहीं सूज रहा था तब जर्मनी के एक सहर में प्रगाढ़ निन्द्राधीन हो कर बिस्तर में लेटे हुए अगस्त केकुलको अपने सपने में एक ऐसा साप दिखा जिसकी पुच्च उसके खुद के मुँह में दबी हुई थी और उस सपनेने अगस्त के दिमाग की बत्ती जलाई और दुनिया को मिला Benzene Structure !!! जिनसे उस समय में ऑर्गेनिक केमिस्ट्री नामक पौधा एक घना वृक्ष बन पाया । और भी बोहोत सारे सपने ऐसे है जिन्हो ने दुनिया को बदल कर रख दिया । ब्रिटेन के लंदन सहर के मेट्रो में सफर कर रही J.K. Rowling को ज़रा सी झपकी लगी और दिमाग से निकला एक बेहतरीन कैरेक्टर Harry Porter का विचार!!!
* स्वपन के अभ्यास को मेडिकल भाषा में विरोलोग्य कहा जाता है । स्वपन क्यों आते है इसका कारन खोजना मनोवैज्ञानिको के लिये तमाम कोसिसो के बाद भी बड़ा मुश्किलसा और करीब-करीब नामुमकिन सा बन चूका है ।
* स्वप्न का सीधा संबंध याददास्त से है ऐसा वैज्ञानिक मानते है ।
* सपना देखते वक्त दिमाग महत्व की चीजों को याददास्त में स्टोर करता है और बिन उपयोगी चीजों को निकाल देता है, जिसे होता यह है की दिमाग के चेतकोषो को ज्यादा तनाव नहीं सहना पड़ता । नींद के दौरान दिमाग से होते हुए परिवर्तन सपने की माहिती का प्रोसेसिंग और स्टोरेज को याददास्त में निर्धारित करने का समर्थन नहीं करते । यादास्त दरअसल कुछ भी नहीं बल्कि जैसे कम्प्यूटर की पेन ड्राइव या फ्लॉपी डिस्क की तरह दिमाग के स्मृति कोष है जिनमे यादास्त के हिसाब से बदलाव होते रहते है । और उस बदलाव को ही हम यादास्त कहते है, जैसे की अगर आप कही रस्ते से जा रहे हो और आप गिर पड़े तो वह कोष उस घटना को अपने अंदर सिलवटों के तौर पर स्टोर करते है । उन कोषो की आयु कम से कम सौ साल है इसी वजह से वह कोष शरीर के दूसरे कोषो की तरह हररोज नये नहीं बनते ।
* दूसरी तरफ सपना देखते समय दिमाग में एड्रिनालीन और सेरोटोनिन नामक दो रसायनो का लेवल प्रमाण में काफी हद्द तक निचा होता है इसी कारन स्वपन का डेटा स्टोरेज दिमाग में ठीक तरह से नहीं हो पाता।
स्वप्न नीदं के उस तबके में जन्म लेता है जब आँख की मूवमेंट ज्यादा हो और दिमाग काफी हद तक एक्टिव होता है और जागरूक अवस्था का अनुभव होता है ।
* सोते हुए व्यक्ति का दिमागी स्कैन बताता है की फ्रंटल लोब्स यानि दिमाग का वो हिस्सा जो मेमोरी स्टोरेज में महत्व की भूमिका अदा करता है , यह हिस्सा REM (Rapid Eye Moment) की ऊंघ के दौरान निष्क्रिय होता है । उस दौरान Dreaming होती है । कही बार ऐसा भी होता है की नींद के किसी और तबके में भी स्वप्न घटित हो जाए ।
* शंसोधक का अनुमान है की सपने की 5 मिनिट के बाद वो सपना 50% जितना हम भूल चुके होते है ।
* और अगली 5 मिनिट के बाद 90% जितना भूल जाते है ।
और कभी कबार ऐसा भी होता है की नींद से जागते ही हम पूरा सपना भूल जाते है ।
इसी वजह से सपने को पूरा याद रखना काफी मुश्किल है ।
* लेकिन खुछ उपाय है जिसे उपयोग में ला के सपने की याददास्त में काफी सुधार हो सकता है ।
सुबह नेचुरल तरीके से जागिये आलार्म का उपयोग मत कीजिये ।
उठने के बाद तुरंत ही अपना पूरा ध्यान सपने की और केंद्रित कीजिये ।
हर दिन सुबह जागते वक्त सपने को नोटबुक में लिख लीजिये ।* सिगमन फ्रॉयड जेसे मनोवैज्ञानिक मानते है की सपने इंसान की समस्याओ को व्यक्त करते है और उसका उकेल लाने के लिए वह सपना देखते है । लेकिन मूलरूप से कहा जाये तो सपनो का विज्ञान भी वैज्ञानिको के लिए उबासी(Yawn) के विज्ञान की तरह अब भी रहस्यमय बना हुआ है। हम सपने क्यों देखते है उसका अबतक कोई ठोस कारन इतनी रिसर्च के बाद भी वैज्ञानिको के हाथ नहीं लगा है। मनोवैज्ञानिक तौर पे सपने ना आना एक स्थिर और शांत चित का निर्देशन है, अगर सपने नहीं होते तो गहरी नींद में जाना सहज हो जाता है और नींद का सीधा सम्बन्ध अभूतपूर्व स्वास्थ्य से है । ऐसा नहीं है की इंसान का दिमाग देखे हुए सभी सपने भूल जाता है कुछ सपने ऐसे भी होते है जो इंसान के दिमाग पर और दुनिया पर गहरी छाप छोड़ जाते है । महान वैज्ञानिक(और लेखक के प्रिय) निकोला टेस्ला के बारे में कहा जाता था की वह २४ घंटो में से सिर्फ २ घंटे की ही नींद लेते थे और वह नींद भी इस लिए लेते थे की वह उन सपनो की मदद से कुछ नए विचार खोज सके । वह २ घंटा सोते और सपने में देखे कुछ ऐसे अविष्कारों को सच कर ने में नींद से उठ कर सीधा जुड़ जाते । वह उनका रूटीन था ।
FYI : कई वैज्ञानिक मानते है की रात के सपने पुरे दिन में या कभी कभी किये उस कार्य या घटी घटना से सम्बंधित है लेकिन दूसरी और दुनिया में कुछ ऐसे भी सपने घटे है जिनका उस व्यक्ति से कोई सम्बन्ध नहीं था । और कुछ सपने ऐसे भी है जिन्हो ने दुनिया बदली है । जैसे की जब दुनियाको आर्गेनिक केमिस्ट्री की दिशा में कुछ नहीं सूज रहा था तब जर्मनी के एक सहर में प्रगाढ़ निन्द्राधीन हो कर बिस्तर में लेटे हुए अगस्त केकुलको अपने सपने में एक ऐसा साप दिखा जिसकी पुच्च उसके खुद के मुँह में दबी हुई थी और उस सपनेने अगस्त के दिमाग की बत्ती जलाई और दुनिया को मिला Benzene Structure !!! जिनसे उस समय में ऑर्गेनिक केमिस्ट्री नामक पौधा एक घना वृक्ष बन पाया । और भी बोहोत सारे सपने ऐसे है जिन्हो ने दुनिया को बदल कर रख दिया । ब्रिटेन के लंदन सहर के मेट्रो में सफर कर रही J.K. Rowling को ज़रा सी झपकी लगी और दिमाग से निकला एक बेहतरीन कैरेक्टर Harry Porter का विचार!!!
Good.👍👍
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