जानिए किस देश के नागरिक कितने देशो की बिना वीज़ा(VISA) मुलाकात ले सकते है ?
किस देश के नागरिक कितने देशो की बिना वीज़ा(VISA) मुलाकात ले सकते है ?
*एक दिन ऐसा भी था की अमेरिका ने भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री मोदी जी को वीज़ा देने से साफ़ मना कर दिया था । लेकिन क्या आप ये जानते है की दुनिया के कुछ देश ऐसे हे जो अपने आंतरिक संबधो की वजह से एक दूसरे के निगरिको को वीसा के बिना भी प्रवेश देते है । मतलब यह है की उन सब मित्र देशो के एक देश से दूसरे देश आसानी से जा सकते है वो भी बिना वीसा के । जैसे की अगर आप यूरोपी की देश के नागरिक है तो आप यूरोपियन यूनियन ( यूरोपियन यूनियन 28 देश का समूह है ) किसी भी देश में बिना वीज़ा के कही भी घूम सकते है इसके लिए आप को कोई वीज़ा खरीदने की या कोई भी दूसरी फोर्मालिटीज़ की ज़रूरत नहीं है ।
* 1948में UNO ( UNITED NATIONS ORGANISATIONS ) ने अपनाये हुए वैश्विक मानव अधिकारों दस्तावेज की कलम 13 के अनुसार । विश्र्व के प्रत्येक देश के प्रत्येक नागरिक को परदेश जाने की और फिर अपने देश में आने की परमिसन बाकायदा है । बरसो पहले जगत के काफी देश इस छूट को मान्यता देने के बावजूद भी वह उनके यहाँ आते मुसाफिरों से वीज़ा का आग्रह रखते थे । लेकिन जब वैश्वीकरण का दौर शुरू हुआ तो बहुत से देशो ने दूसरे देशो के नागरिको को बिना वीज़ा के आने के लिए अपने देश के दरवाजे खोल दिए ।
* इस में से काफी देश पश्चिम के है और पैसे के संदर्भ में देखे तो समृद्ध है . एक दूसरे पर मुसाफरी के अंकुश रखना उनके हित में नहीं है . लेकिन भारत जैसे देश के लिए उनका वलन एकदम ही अलग है . वीज़ा देने के लिए पैसे वसूलते है और फिर भी मानो वह भारत जैसे गरीब(?) देश पर एहसान करते हो वेसा बर्ताव करते है । भारतीय नागरिक जगत के लगभग 18 देशो की मुलाकात बिना वीज़ा के ले सकता है .इस में से बहुत से देश वेस्ट इन्डिज के टापूसमूह है . क्यों की पश्चिम के समृद्ध देशो के मुकाबले भारत बिछड़ा हुआ देश है इसी लिए वह भारत जैसे देश को बिना वीज़ा के अपने देश में एंट्री नहीं दे सकते । दूसरी और वह उनकी अर्थव्यवस्था के लिए भी हानीकर्ता बात है क्यों की अगर वह सब समृद्ध देश ऐसे गरीब देश को ऐसे ही वीज़ा बिना आने देंगे तो वह चेष्ठा एक दिन घुशपेठ में बदल जाएगी । दूसरी और भारत जेसा देश जो की अपना गुजरा बड़ी मुश्किल से करते है वह दुसरो को पनाह देने में कोई कसर नहीं छोड़ते । जहा तक राजनीती और अर्थव्यवस्था की बात है तो " वासुदेव कुटुंबकम " का सूत्र वहा पर काम नहीं आता । वहा तो बस चाणक्य द्रष्टि से अपनी सीमाओं पर प्रतिबन्ध लगाना पड़ता है । लेकिन भारत यह करने के बजाये अपने आप को कई अरसे से धर्मशाला बन कर बैठा हुआ है जहा पर कोई भी आ कर मुफ्त में रह सकता है । प्रथम विश्व युद्ध में जब जर्मनी हार गया तो वहा के लोगो के लिए गुजरा चलना भी मुश्किल हो गया तब कई यहुदू और दूसरे लोगो ने भारत में पनाह ली थी और भारत ने उन सबका स्वीकार भी कर लिया था बिना किसी विरोध के । तब से यह मेहमान नवाज़ी का सिलसिला भारत चला रहा है जो आज भी नहीं रूका । भारत की पूर्व सरहद पर कई बांग्लादेशी ऐसे है जी लोगो को उनका खुद का देश पूरी तरह से नकार चूका है और दूसरे देशो ने भी पनाह देने से इनकार कर दिया है । अब यह सुई भारत पर आ कर अटकी है जहा पर तो कोई भी मुफ्त में आ के रह सकता है क्यों की यहाँ के राजकर्ताओ को सिर्फ वोट में रस है ना की अपने नागरिक के हितो में । अब यह एक सामान्य गणित है की जितनी जनसंख्या ज़्यादा होती है उतना ही देश की प्रगति को ब्रेक ज्यादा लगती है । एक सर्वे के अनुसार 2924 तक खुद भारत विस्वा का सबसे ज्यादा जनसँख्या वाला देश बन जायेगा । वर्तमान समय में 35% युवाओ के पास डिग्री तो है लेकिन नौकरी नहीं है । उनमे यह सब घुशपेठ होती रही तो हम और भी बिछड़ सकते है । खैर , जिन देशो की मुलाकात भारत के नागरिक बिना वीसा के ले सकते है उनमे से करीब करीब सभी देश गरीब या बिछड़े हुए है ।
* दूसरी और आप यह देखिये की जो देश दुनिया के सभी पोजिटिव सर्वे में टोप करते यही वहा के नागरिक कितने देशो की मुलाकात ले सकते है ?
* Citizen's Country Visit Countries
- Denmark,Sweden,Finland 173
- Germany 172
- Briton,Netherlands,Frans,Italy, 171
Luxembourg,Belgium
- Japan,Norway,Span,Portugal 170
- America 169
- Switzerland 167
- Israel 142
- Brazil 140
- South Africa 92
- Russia 89
- China 40
- Iran 36
*FYI:- दुनिया के 193 देश UNO के प्रमानिक तौर पे सदस्य है । अबतक नोंधे गए प्रमाण के हिसाब से दुनिया में 230 देश है जिनकी अपनी ऑफिसियल राजधानी है । और कुछ देश ऐसे भी है जो अपने आप को देश तो मानते है लेकिन दुनिया में उनको देश के टूर पर अब तक स्वीकार नहीं किया गया है ।
*एक दिन ऐसा भी था की अमेरिका ने भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री मोदी जी को वीज़ा देने से साफ़ मना कर दिया था । लेकिन क्या आप ये जानते है की दुनिया के कुछ देश ऐसे हे जो अपने आंतरिक संबधो की वजह से एक दूसरे के निगरिको को वीसा के बिना भी प्रवेश देते है । मतलब यह है की उन सब मित्र देशो के एक देश से दूसरे देश आसानी से जा सकते है वो भी बिना वीसा के । जैसे की अगर आप यूरोपी की देश के नागरिक है तो आप यूरोपियन यूनियन ( यूरोपियन यूनियन 28 देश का समूह है ) किसी भी देश में बिना वीज़ा के कही भी घूम सकते है इसके लिए आप को कोई वीज़ा खरीदने की या कोई भी दूसरी फोर्मालिटीज़ की ज़रूरत नहीं है ।
* 1948में UNO ( UNITED NATIONS ORGANISATIONS ) ने अपनाये हुए वैश्विक मानव अधिकारों दस्तावेज की कलम 13 के अनुसार । विश्र्व के प्रत्येक देश के प्रत्येक नागरिक को परदेश जाने की और फिर अपने देश में आने की परमिसन बाकायदा है । बरसो पहले जगत के काफी देश इस छूट को मान्यता देने के बावजूद भी वह उनके यहाँ आते मुसाफिरों से वीज़ा का आग्रह रखते थे । लेकिन जब वैश्वीकरण का दौर शुरू हुआ तो बहुत से देशो ने दूसरे देशो के नागरिको को बिना वीज़ा के आने के लिए अपने देश के दरवाजे खोल दिए ।
* इस में से काफी देश पश्चिम के है और पैसे के संदर्भ में देखे तो समृद्ध है . एक दूसरे पर मुसाफरी के अंकुश रखना उनके हित में नहीं है . लेकिन भारत जैसे देश के लिए उनका वलन एकदम ही अलग है . वीज़ा देने के लिए पैसे वसूलते है और फिर भी मानो वह भारत जैसे गरीब(?) देश पर एहसान करते हो वेसा बर्ताव करते है । भारतीय नागरिक जगत के लगभग 18 देशो की मुलाकात बिना वीज़ा के ले सकता है .इस में से बहुत से देश वेस्ट इन्डिज के टापूसमूह है . क्यों की पश्चिम के समृद्ध देशो के मुकाबले भारत बिछड़ा हुआ देश है इसी लिए वह भारत जैसे देश को बिना वीज़ा के अपने देश में एंट्री नहीं दे सकते । दूसरी और वह उनकी अर्थव्यवस्था के लिए भी हानीकर्ता बात है क्यों की अगर वह सब समृद्ध देश ऐसे गरीब देश को ऐसे ही वीज़ा बिना आने देंगे तो वह चेष्ठा एक दिन घुशपेठ में बदल जाएगी । दूसरी और भारत जेसा देश जो की अपना गुजरा बड़ी मुश्किल से करते है वह दुसरो को पनाह देने में कोई कसर नहीं छोड़ते । जहा तक राजनीती और अर्थव्यवस्था की बात है तो " वासुदेव कुटुंबकम " का सूत्र वहा पर काम नहीं आता । वहा तो बस चाणक्य द्रष्टि से अपनी सीमाओं पर प्रतिबन्ध लगाना पड़ता है । लेकिन भारत यह करने के बजाये अपने आप को कई अरसे से धर्मशाला बन कर बैठा हुआ है जहा पर कोई भी आ कर मुफ्त में रह सकता है । प्रथम विश्व युद्ध में जब जर्मनी हार गया तो वहा के लोगो के लिए गुजरा चलना भी मुश्किल हो गया तब कई यहुदू और दूसरे लोगो ने भारत में पनाह ली थी और भारत ने उन सबका स्वीकार भी कर लिया था बिना किसी विरोध के । तब से यह मेहमान नवाज़ी का सिलसिला भारत चला रहा है जो आज भी नहीं रूका । भारत की पूर्व सरहद पर कई बांग्लादेशी ऐसे है जी लोगो को उनका खुद का देश पूरी तरह से नकार चूका है और दूसरे देशो ने भी पनाह देने से इनकार कर दिया है । अब यह सुई भारत पर आ कर अटकी है जहा पर तो कोई भी मुफ्त में आ के रह सकता है क्यों की यहाँ के राजकर्ताओ को सिर्फ वोट में रस है ना की अपने नागरिक के हितो में । अब यह एक सामान्य गणित है की जितनी जनसंख्या ज़्यादा होती है उतना ही देश की प्रगति को ब्रेक ज्यादा लगती है । एक सर्वे के अनुसार 2924 तक खुद भारत विस्वा का सबसे ज्यादा जनसँख्या वाला देश बन जायेगा । वर्तमान समय में 35% युवाओ के पास डिग्री तो है लेकिन नौकरी नहीं है । उनमे यह सब घुशपेठ होती रही तो हम और भी बिछड़ सकते है । खैर , जिन देशो की मुलाकात भारत के नागरिक बिना वीसा के ले सकते है उनमे से करीब करीब सभी देश गरीब या बिछड़े हुए है ।
* दूसरी और आप यह देखिये की जो देश दुनिया के सभी पोजिटिव सर्वे में टोप करते यही वहा के नागरिक कितने देशो की मुलाकात ले सकते है ?
* Citizen's Country Visit Countries
- Denmark,Sweden,Finland 173
- Germany 172
- Briton,Netherlands,Frans,Italy, 171
Luxembourg,Belgium
- Japan,Norway,Span,Portugal 170
- America 169
- Switzerland 167
- Israel 142
- Brazil 140
- South Africa 92
- Russia 89
- China 40
- Iran 36
*FYI:- दुनिया के 193 देश UNO के प्रमानिक तौर पे सदस्य है । अबतक नोंधे गए प्रमाण के हिसाब से दुनिया में 230 देश है जिनकी अपनी ऑफिसियल राजधानी है । और कुछ देश ऐसे भी है जो अपने आप को देश तो मानते है लेकिन दुनिया में उनको देश के टूर पर अब तक स्वीकार नहीं किया गया है ।
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