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क्यों ले जाती है चींटियाँ मरी हुई चीटियों को दूर ? क्या कहा था Einstein ने दुनिया के अंत के बारे में ?

क्यों ले जाती है चींटियाँ मरी हुई चीटियों को दूर ? क्या कहा था Einstein  ने दुनिया के अंत के बारे में ?


हम में से सायद सभी लोगो ने यह द्रस्य देखा होगा की मरी हुई चीटियों को दूसरी चीटियाँ दूसरी जगह  shift करने की पूरी कोसिस करती है ।सिर्फ चीटियाँ ही नही  मधुमख्खिया और दूसरे कई सारे किटक वर्ग के जीवो में यह हरकत पूरी तरह से सामान्य है । दरअसल चीटियाँ मरे हुए मृत सदस्य को दूर ले जाने की कोसिस करती है । अगर चीटिया ऐसा ना करे तो मृत शरीर में पनपते pathogens के पुरे काफिले में फैलने का डर रहता है। जैसे इंसानो में अंतिम यात्रा है वैसे ही चीटियों में भी यह एक अंतिम यात्रा ही है । कोई चीटी का जीवन खत्म होने पर उसका मृत देह Oleic  Acid मुक्त करता है । काफिले के दुसरे सभ्यो के लिए यह गंध किसी के मृत्यु होने का signal होती है । उसके बाद काफिले का कोई एक सदस्य यह मृत देह को काफिले से दूर ले जाने के लिए आगे आता है । कभी कबार दो-से तीन सदस्य भी यह काम करने के लिए आगे आते है ।

2018 में Scientific Report  नामक magazine ने  एक Report publish किया जोकि मधु मख्खियो के एक वर्ग apis mellifera में हो रहे व्यापक मृत्यु के बारेमे था। दरअसल यह मधु मख्खिया अमेरिकन मधुमख्खि के केंद्रों में लाखो की संख्या में एक साथ मर रही थी। अमेरिका में मधुमख्खिया लाखो डॉलर की खेत उपज देती है ऐसे में यह मधुमख्खियो का मरना अमेरिका के लिए लाखो डॉलर्स का नुकसान था। साइंटिफिक रिपोर्ट मैगज़ीन के रिसर्च पेपर के अनुसार मधुमख्खी के छत्ते में olaic  acid  के अलावा beta-ocimane नामक रसायन की भी गंध प्रसरति रहती  है । मधुमख्खी का लार्वा खोराक की चाहना भी यह सिग्नल की मदद से करती है। लार्वा में पनप रही मधुमख्खी की अगर मृत्यु हो जाये तो  उसका मृत देह भी यही दो संयोजनो की गंध छोड़ता है। संसोधको ने प्रयोग हेतु जीवित लार्वा पर यह दोनों रसायन का छंटकाव किया तो दूसरी मधु मक्खियों ने उनका भी मृतदेह की तरह निकल कर दिया। इससे संसोधको का तर्क यह बना की या तो मधुमक्खियाँ oleic  acid  के प्रति ज़्यादा संवेदन सील बनी है या फिर उनकी beta-ocimane को परखने की क्षमता कम हो गई है।


FYI :

चीटिया अपने कुल वजन से २२ गुना ज़्यादा वजन उठाने की क्षमता रखती है ।

Eisenstein  ने एक बार कहा था की जब मधुमक्खियों का अकाल मृत्यु का सिलसिला सुरु होगा उसके ठीक 4 साल बाद पृथ्वी पर से सभी पुरुषों का भी विनास हो जायेगा ।










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