इंसान का आने वाला कल वाकई में निश्चित है ? क्या ज्योतिष शास्त्र मिथ्या है या एक गूढ़ रहस्य?
- ऐसा लगता है की ज्योतिष शास्त्र को इ. सा. पूर्व 598 में जन्मे हुए ब्रम्हागुप्त और इ. सा. 1114 में जन्मे हुए भास्कराचार्यने जो उचाईया दी थी वह कही खो के रह गई है |
- जहा तक ज्योतिष शास्त्र का सवाल है, उसमे 1 + 1 = 2 ऐसा कोई सीधा सटीक गुणोत्तर नहीं होता | आम तौर पर रसायन विज्ञानं और भौतिक विज्ञानं में अनुमान लगाए जा सकते है, जैसे की प्रकाश की गति प्रति सेकंड 2,99,792.458 हे तो वह उतनी है ही | उसमे कोई दो राइ नहीं हे वैसे ही हाइड्रोजन के दो अणु और ऑक्सीजन का एक अणु मिलकर पानी बनेगा उसमे भी कोई दो राइ नहीं है लेकिन ज्योतिष शास्त्र बिलकुल उन शास्त्रो की तरह सटीक नहीं है, ज्योतिष शास्त्र में ऐसे अनुमान लगाने नामुमकिन है | तो फिर सवाल यह उठता है की ज्योतिष शास्त्र पर भरोसा करे की नहीं | दूसरी और नोस्ट्राडेमॉस और जिम डीक्सन जैसे भविष्य दर्शिओ की भविष्य वाणिया सही साबित हुई है ऐसा माना जाता है | अगर नोस्ट्राडेमस की बात करे तो उनकी भविष्यवाणियों का अभ्यास करके यह मालूम होता है की उन्होंने ऐसे कोई सचोट शब्दो में भविष्य वाणीया नहीं की जिससे यह साबित हो सके की भूतकाल में बनी घटनाये अथवा प्रसंग जिनसे सलग्न हो | दूसरी और कुंडली वर्गीकरण और दैनिक अखबारों में प्रकाशित हो रहे राशि भविष्य के बारे में बात करे तो प्रधान मंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी की कुछ ज्योतिषीयो ने कुंडली जाची तो उन्हों ने कहा की प्रधान मंत्री की कुंडली में राजनेता बनने का योग दूर-दूर तक भी दिखाई नहीं पड़ता | ऐसा ही अनुमान ज्योतिषीयो ने 1991 में नरसिह राव के लिए भी लगाया था | अमिताभ बचन के लिए भी कहा गया था की उनकी कुंडली में अभिनेता बनने के योग दूर-दूर तक नहीं है |
- तो फिर क्या ज्योतिष शास्त्र सिर्फ एक सेखचल्ली या मुल्ला नसीरुद्दीन का शास्त्र है? नहीं जो अगर यही सत्य होता तो ब्रम्हभट्ट और भास्कराचार्य जैसे मेघावी लोग इस शास्त्र के पीछे समय बर्बाद क्यों करते? कभी कबार ज्योतिष शास्त्र और योग का समन्वय अद्भुत परिणाम लेके आते है जो हम सोच भी नहीं सकते | ट्रेन में सफर कर रहे 19 साल के युवा लालबहादुर शास्त्री को एक आदमी बोहोत समय से घूरे जा रहा था लाल बहादुर ने तंग आ कर पूछा तो वह आदमीने अपनी स्थिर आँखों से जो शब्द बोले वह लालबहादुर के लिए नियति बन गए | वह आदमी ने जो शब्द कहे वह कुछ इस तरह थे "तेरा भावी उज्जवल है, तू एक दिन भारत की एक महत्व पूर्ण व्यक्ति बनेगा | लेकिन तेरी मौत अपने वतन के बहार दूसरे देश में होगी जहा पर तेरी मौत के दौरान कोई भी अपना मौजूद नहीं होगा" वह आदमी को कोई पागल इंसान समझकर लालबहादुर ने उसमे ध्यान ना देना उचित समजा | आगे जाके वह 19 साल का लड़का भारत का दूसरा प्रधान मंत्री बना | और उनकी मौत रशिया में रहस्यमई संजोग में हुई जहा पर उनका कोई अपना मौजूद नहीं था | भारतीय शास्त्र की अद्भुत देंन योग और ध्यान से इंसान की जीवन ऊर्जा को मूलाधार से सहस्त्रार्थ तक पोहोचाकर इंसान भुत, वर्तमान और भविष्य जैसी प्रकृति की तीनो अवस्थाओं का ज्ञान प्राप्त कर सकता है ऐसा पतंजलि योग सूत्र कहता है(ध्यान और योग के बारे में ज़्यादा जानकारी के लिए करे CLICK) | एक दृस्टि यह भी है की ज्योतिष शास्त्र जैसा आधुनिक और वैविध्यपूर्ण शास्त्र दुनिया में दूसरा कोई और नहीं है | कुछ ऐसे भी अवशेष मिले है जिससे यह साबित होता है की ज्योतिष शास्त्र भारत में कृृष्ण युग से भी पुराना है | तो यह भी एक सोचने वाली बात है की आज से 5300 साल पहले तारो की गति और दिशा, ग्रहो के स्थान, नक्सत्रों के स्थान (महाभारत जो की कम से कम 5300 साल पुराना है उसमे कृृष्ण के 'रोहिणी' नक्सत्र में जन्म का उल्लेख है) वार या तिथि का मांपन किसी आधुनिक उपकरण के बिना कैसे किया होगा |
- ज्योतिष शास्त्र के सभी पृष्ठों का अध्यन करने से मालूम होता है की जहा तक व्यक्तिगत लाभ या हानि का सवाल है या व्यक्तिगत घटना का सवाल है वहा तक ज्योतिष शास्त्र इन सब अनुमानों में उपयोगी नहीं बन सकता है | अगर कोई ऐसी घटना है जिसमे पूरा अस्तिव और प्रकृति सम्मिलित है तो ज्योतिष शास्त्र वहा उपयोगी हो सकता है |
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FYI :-
ज्योतिष का पूरा शास्त्र करीब 7000 पूरा शास्त्र भृगु सनहीयता से बना हुआ शास्त्र है | भृगु संहिता इ. सा. पूर्व 5000 में जन्मे भृगु ऋषि की देंन है जिनका जन्म सेषा नगर जोकि वर्त्तमान ईरान में है वहा हुआ था (उस समय ईरान भी पुरे अखंड भारत का हिस्सा था) जो की अपनी पत्नी के मृत्यु के बाद भृगुकुच्छ, गुजरात (खम्भात का अखात) में स्थित हुए | उस समय में ज्ञान के प्रचार के लिए मरुद्रण की व्यवस्था नहीं थी इसलिए शिस्यो को भृगु संहिता के श्लोक कंठस्थ कराये जाते थे | बादमे जाकर जग लिखावट की विद्या विक्सित हुई तब भोज पत्र और ताम्र पत्र के माध्यम से दूसरे ऋषि मुनियो (ब्रहगुप्त, भास्कराचार्य) ने भृगु संहिता का संकलन किया |
Image Courtesy : Google
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