Header Ads

बारिश के बारे मे कुछ अनजानी बाते (Some Unknown facts about Rain)


                  बारिश के बारे मे कुछ अनजानी बाते

*                        आज कल पुरे देश में बारिश का धमाके दार माहौल चल रहा है |  इस साल बारिश ने अपनी कसर पूरी तरह से यथावत की है | तो आइये हम और आप बारिश के बारे में कुछ ऐसे तथ्य जाने जो दुनिया में बहुत कम लोग जानते हैबारिस के बारे में इतना कुछ कहना है की वह सब एक ही लेख समाविष्ट करना ज़रा मुश्किल है इसी लिए में इसके बारे में और भी पोस्ट भविष्य में जबतक बारिश का मौसम रहेगा तब तक Continue रखूँगा |



*                     हम में से बोहोत कम लोग ऐसे होंगे जो यह जानते है की अगर पृथ्वी पर बारिश नहीं होती तो पृथ्वी आज जैसी कतय न होती | हमारी पृथ्वी जिसे हम अपना घर  मानते है वह करीबन 4.5 बिलियन वर्ष पुरानी हे | वैज्ञानिको की रिसर्च यह बताती है की पृथ्वी बनने के बाद के थोड़े करोड़ वर्ष ऐसे ही बीते जब पृथ्वी का तापमान 1 लाख सेल्सियस के करीब था | 3.8 बिलियन  साल पहले पृथ्वी की सतह पर Oxygen का नामो निशान नहीं था ओर कुछ ऐसे वायु जीसे Green House Gases से भी जाना जाता है जेसे की मीथेन ओर ऐमोनिया बोहोत ज़्यादा मात्रा में मौजूद थे | बाद के कुछ साल पृथ्वी के लिए ऐसे ही बीते जब अचानक से Cyano Bacteria  का जन्म हुआ (किस तरह हुआ ये मत पूछियेगा क्यों की कुछ सवाल ऐसे होते है जिसके जवाब नहीं होते) | साइनो बेक्टेरिआ ऐसे बेक्टेरिया है जो अपना जीवन टिकाने के लिए फोटोसिंथेसिस का सहारा लेते है और बदले में बोहोत मात्रा में ऑक्सीजन बायप्रोडक्ट के तौर पर उत्सर्जित करते है (दुनिया के ज़्यादातर ऑक्सीजन की खपत साइनो बेक्टेरिआ ही पूरी करते है जो की 80 प्रतिसत है, इसमें वृक्षो का हाथ सिर्फ 10 परसेंट है) यह ऑक्सीजन का प्रमाण बढ़ने की वजह से और दूसरी और पृथ्वी के ठंडे हो रहे तापमान का भी सहारा मिल ने की वजह से बारिस के लिए पूरी तरह से योग्य संजोग तैयार हो चुके थे | करीबन 3.8 बिलियन वर्ष पहले पृथ्वी पर बारिस हुई जो सालो साल चलती रही और उसके परिणाम स्वरूप पृथ्वी को मिले समंदर, और समंदर मिलने की वजह से आखिरकार 65 मिलियन वर्ष पहले पृथ्वी पे घटी एक अद्भुत घटना जो की ब्रम्हांड में एक अविस्मरणीय और अनोखी थी जिसे हम "जीवन" कहते है !!!!

                                                 वर्षा के प्रकार

*                अपने सूना होगा बारिस के बोहोत सारे प्रकार है भारतीय प्राचीन शास्त्रों में वर्षा के बारह प्रकार है | आधुनिक वर्षा शास्त्र के अनुसार वर्षा के सिर्फ तीन प्रकार है(संवहनीय वर्षा, पर्वत कृत वर्षा, चक्रवातीय वर्षा). सायद यह सभी प्रकारो के बारेमे आप ने कभी न कभी कही न कही सुना ही होगा |

                                मच्छली या मेंढको की वर्षा



 *              क्या आपने कभी मच्छली की वर्षा या मेंढको की वर्षा के बारे में सुना है? या फिर कभी आपने खून की वर्षा के बारेमे सुना है? जी हा यह बिलकुल चोका देने वाली बात है, 1794 में french सैनिको को पहली बार आसमान से मछलियों की वर्षा का अनुभव हुआ था | उसके बाद तो कई सारे ऐसे किस्से सामने आए जिसमे मच्छलिया भी वर्षा के साथ गिरती थी और कही जगह पर तो मेंढक की वर्षा भी होती थी | कई देशो में इसे अशुभ भी माना और कईओ ने इसके बारे में तरह तरह की बाते फैलानी शरू कर दी, कुछ लोगो ने तो यह तक बोला की यह दुनिया के अंत की चेतावनी परमात्मा दे रहा है | बोहोत दिनों के मसलन के बाद वैज्ञानिको ने इस रहस्य का पर्दाफास आखिर कर ही दिया | दर असल  होता यह था की समुद्र की सतह गर्मी के दिनों में बहुत गरम रहती है, सतह के आसपास मंडरा रही हवा सतह के ताप से खुद ही तपने लगती है फिर गरम हवा वजन मे हलकी होने के कारण वातावरण में ऊपर की और गतिमान होती है और ऊपर की ठंडी हवा निचे वापस सतह की और गतिमान रहती है वही ठंडी हवा सतह के संपर्क में आते ही गरम हो जाती है वह गरम हवा फिर ऊपर की और गतिमान होती है | इसी तरह यह श्रृंखला चलती रहती हे जो थोड़ी देर बाद चक्रवात का रूप धारण करती है | कभी यह चक्रवात इतना बलसाली होता है की समुद्रकी सतह पर तैर रही मछलियो  को भी अपने साथ ऊपर खींच जाता है | यही मच्छलिया चक्रवात में तब तक घूमती रहती है जबतक की चक्रवात के रस्ते में कोई ज़मींन न आ जाये | चक्रवात के ज़मीन से संपर्क होते ही श्रृंखला टूटजाने से चक्रवात थम जाता है और वह मछलिया वही बरस जाती है | यही वैज्ञानिक नियम मेंढक की वर्षा पे भी लागु होता है | ऐसा ही अनुभव 14जून 2017 को थाईलैंड के लोगो को हुआ था दूसरी और सेप्टेम्बर 8 2015 में मेक्सिको में मेंढको की बारिश दर्ज हुई थी |

                             मानव इतिहास में खून की बारिश




*              मानव इतिहास में खून की बारिश भी हुई है | खून की बारिस का ज़िक्र प्राचीन ग्रीक के एक कवी होमर ने अपनी कविता(कविता को homer's lliad  कहा जाता है)  में किया था जो की उन्होंने ई.सा. पूर्व 8वी सदी में लिखी थी | 2001 में 26 जुलाई से लेकर 23 सितम्बर तक केरल में लगातार कई घंटो चलने वाली खून की बारिस हुई जिसने हवामान विशेषज्ञों को हेरात में डाल दिया | यह पृथ्वी पर गिरी पहली खून की बारिश नहीं थी इससे पहले भी ऐसे ही विशेषज्ञो  को ऐसी ही बारिसो ने काफी हेरात में डाला है | 14वी सदी में इंग्लिश साधक और प्रवासी राल्फ हिंडन ने अपनी writings में कई बार खून की बारिश के होने के प्रसंगो का ज़िक्र किया है | युरोपियन हिस्ट्री में तो कुल मिलाकर 30 प्रसंग खून की बारिश के अंकित है | जबतक वैज्ञानिको ने इसका रहस्य नहीं जाना तब तक लोगो ने अपने अपने हिसाब से कही तर्क लगाए जिनमे यह बारिश ET (extra  terrestrial ) यानि दूसरे गृह पे रहने वाले बुद्धिजीवियों ने की है या फिर इसके पीछे देवताओ का हाथ है जैसे अनुमान भी शामिल थे | जून 2015 में केरला में  हुई खून की वर्षा के वैज्ञानिको ने सैंपल लिए और उसे लेबोरटरी में टेस्ट करने पर पता चला की यह बारिस हवामान में मौजूद  Trentepohlia annulata नामक एक शैवाल(algae) की वजह से हो रही थी. लेकिन वैज्ञानिको का यह निष्कर्ष भी पूरी तरह से सचोट नहीं है क्युकी दूसरी जगहो जैसे की श्रीलंका में हुई Blood Rain का रहस्य आज तक भी जानने में नहीं आ सका है |


FYI:- 
             हमारे सौर मंडल में तीन ऐसे भी ग्रह है जहा पे Diamond rain यानि हीरो की वर्षा होती है, गुरु, सनी और नेप्चून | यह सभी ग्रहो पे दरअसल मीथेन वायु का प्रमाण बहोत ज़्यादा होने की वजह से हवा के दबाव में और बिजली कड़कने से वह मीथेन गैस कार्बन और हाइड्रोजन दोनों को अलग कर देती है | वहा के वातावरण के संजोग में भरी मात्रा में वातावरण का दबाव कार्बन को हीरो के स्वरूप में रूपांतरित करके वहा पर हीरो की बर्षा करवाते है | (According to latest research of Wisconsin - Madison and NASA Propulsion Laboratory)   


No comments

Powered by Blogger.