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सिध्धर्थ गौतम से गौतम बुद्ध का सफर ( Story of Buddha )



"पोथी का पंडित ऐसा ही हे जैसे दुसरो की गैयो का चरवाहा, सारे शास्त्र रटने वाला ज्ञानी नहीं होता वह तो वैसे ही होता है जैसे दूसरे की गैया चराने जाने वाला चरवाहा होता है, अपनी गैया एक भी नहीं लेकिन अहंकार को दुसरो की गैयाओ को अपना कहते शर्म कहा आती है", 


"में जो कह रहा हु वह आप इस लिए मत मान लेना क्यों की मेने कहा है  , खुद जांचना, परखना और फिर चुनाव करना, क्यूंकि में जो कह रहा हु वह मेरा अनुभव है  . श्रध्धा के लिए यहाँ मेरे पास कोई गुंजाइस नहीं है अगर मन में संदेह उठता है तभी मेरे पास आना", "में कोई दार्शनिक नहीं हु, में बस मनोचिकित्सक हु, तुम्हारे मन के रोगो का निदान करने के लिए में यहाँ पर हु". 




*          शाब्दिक खोजकर्ता कहते है की कोई आदमी इतना सारा कैसे बोल सकता है अपने जीवन काल में ज़रूर किसी ने बुद्ध के कथनो को छेड़ा है | लेकिन दरअसल सचाई यह है की बुद्ध जितना बोले है इस पृथ्वी पर उतना सायद दूसरा कोई नहीं बोला है  |  और वह जितना बोले है वह सब पूरी तरह से संगृहीत ही नहीं हो पाया है. 
आज से करीब 2500 साल पहले बुद्ध ने एक ऐसा धर्म दिया जिसने धर्म की परिभषा ही बदल दी  |  बुद्ध का धर्म अपने आप में एक अनोखा धर्म है जो संदेह सिखाता है  |  बुद्ध के धर्म को नास्तिको का धर्म भी कहा गया है क्यों की जब-जब बुद्ध से ईश्वर के बारे में पूछा गया तब बुद्ध ने अपने मौन से ही जवाब दिया है और उनके मौन की वजह से लोग उन्हें नास्तिक समझेंगे उस बात की भी परवाह उन्हों ने कभी नहीं की  |  बुद्ध के बारे में H.G.Wells ने लिखा है "बुद्ध जैसा इस पृथ्वी पर नास्तिक भी कोई नहीं हुआ और उन जैसा आस्तिक भी दूसरा कोई नहीं हुआ"| 


----   The Early Life Of Buddha

*          बुद्ध का जन्म इसा पूर्व 583 में शुद्धोधन के मगध में एक राजकुमार के तौर पर हुआ था  |  जन्म के उसी दिन जब पुरे मगध में सेहेनाइया और जश्न का माहौल था तब एक 'असिता' नाम का तपस्वी हिमालय से भागा हुआ आया था जोकि सुद्धोधन का बचपन का मित्र था  |  वह तपस्वीने सिद्धार्थ को हाथ में ले कर अपना सर सिद्धार्थ के पेरो से लगा दिया और कहने लगा अभी मेंरा जीवन चक्र तो समाप्त हो चूका है में इस बुद्ध की वाणी नहीं सुन पाउँगा यह कहते ही वह रो पड़ा  |  वह केने लगा की न जाने कितने जन्मो से में अपने मोक्ष की प्रतीक्षा कर रहा हु लेकिन अब पसतावा होता है की कास एक जन्म और मिल गया होता इस बुद्ध पुरुष की वाणी सुनने के लिए, इस अदबुद आत्मा की सुवास को अनुभव करने के लिए  |  सिद्धार्थ (सिद्धार्थ का अर्थ होता है आशा को पूरा करने वाला) सिर्फ तुम्हारा नहीं है सुद्धोधन ये तो पुरे जगत का अर्थ सिद्ध करने वाला आत्मा है  |  इस की साया में कई लोग अपने को प्राप्त होंगे  | 

 ------  Shidhharth become Buddha

*          सिद्धार्थ के बारे में की गयी इस भविष्य वाणी ने उनके पिता को सम्पूर्ण रूप से तोड़ दिया  |  उन्हों ने तो सोचा था की इस राजकुवर को बड़ा होके राजा बनायेगे  |  और युवराज के युवान होने तक उन्हों ने उस दिशा में अनेक प्रयास भी किये  |  दुनिया के किसी भी दुःख की पडछाइ भी सिद्धार्थ तक नहीं पड़ने दी जिसे उसके अंदर वैराग्य जाग उठे  |  लेकिन सिर्फ एक ही नगर चर्या के दौरान मृत व्यक्ति को देख कर गौतम को यह जागरूकता हुइ की मुझे भी एक दिन मरना होगा | अगर एक दिन सबकुछ ख़त्म ही हो जाने को है तो फिर यह सब किस काम का, बुद्ध के ज़हन में यह प्रश्न उठा की आखिर जीवन का अंत मरने से ही होता है तो फिर जीवन का मतलब ( Meaning Of  Life ) आखिर है क्या? बुद्ध ने उसी रात अपना घर छोड़ दिया और जंगल की और प्रस्थान कर चल निकले  |

*           बुद्ध ने वह सभी रास्तो पर चल के देखा है जहा उनको अपने रास्ते में मिले कथित गुरुऔ के द्व्रारा बताये गए थे  |  लेकिन जैसे अगर आप सच्चे शिष्य है तो आपको सच्चा गुरु मिलने में देर नहीं लगाती वैसे ही बुद्ध को जितने ही गुरु मिले सब खो गए और तब बुद्ध के पास बचा सिर्फ खुद का साथ  |  जिनसे उन्हों ने परम ज्ञान को प्राप्त किया  |  बिहार के बोध गया गांव में अभी भी वह वृक्ष मौजूद है जहा पर बुद्ध को पूर्णिमा के दिन ज्ञान प्राप्त हुआ था  |


*        वाचक गण को शायद यह लग रहा होगा की में आज बुद्ध के बारे में क्यों बात करने को इतना उत्सुक हु  |  दरअसल अभी कुछ ही दिन पहले बुद्ध पूर्णिमा समय के पट्ट पर से गुज़र गई, कुछ निजी कारणों की वजह से उस दिन तो में बुद्ध के बारे में नहीं लिख पाया लेकिन मन की बात कहने में अभी बहोत देर भी नहीं हुई है  |  क्यों की शब्दो को समय कहा रूकावट डालता है  |

FYI : -
                 कुछ दस्तावेजों का अध्यन करके मालूम पड़ता है की बुद्ध एक Masters Of One liner थे  |बुद्ध के सभी प्रवचनो की मूल भाषा "पाली"(pali) है । बुद्ध जितना बोले है उतना कोई भी महा पुरुष इस पृथ्वी पर नहीं बोला हेै । परम ज्ञान की प्राप्ति के बाद गौतम बुद्ध ने अपने विहार के दौरान हज़ारो गावो की मुलाकात ली जहा उन्हों ने हर गांव में सेकड़ो प्रवचन दिए |  बुद्ध की मृत्यु के 400  साल बाद चक्रवर्ती सम्राट अशोक ने उनसे प्रभावित होकर अपना सबकुछ छोड़ कर बुद्ध के शंदेश को फैलाने का फैसला लिया था  |  बौद्ध धर्म आज दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा धर्म है जिनकी ख्याति पुरे एशिया में फैली हुई है  |  जापान जैसे देस पूर्णतह बौद्ध धर्मी है चीन की आबादी का लगभग आधा हिस्सा बौद्ध धर्मी है और आधा हिस्सा ताओ(जिसके बारे में फिर कभी बात करेंगे) पंथी है | 

1 comment:

  1. सार्थक ज्ञानवर्धक पोस्ट

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