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टेलिपथी (Telepathy) क्या है ? क्या हम वास्तव में किसी के मन की बात जान सकते है ?

*यह बात तो पक्की है की टेलिपथी जो कुछ भी हो लेकिन विज्ञान नहीं है ! विज्ञान का दरर्जा सिर्फ उनको ही मिलता है जिनका परीक्षण जितनी बार करो उनका परिणाम वही आएगा उसमे कोई फर्क नहीं हो सकता ! अब मान लीजिये की दो पदार्थ के बिच का अंतर अगर दो गुना हो तो उसके बिच का गुरुत्वाकर्षण चौथे भाग का होगा ! यह न्यूटन का नियम विज्ञान जगत में स्वीकार्य है ! क्यों की इस फार्मूला में कोई बदलाव नहीं आ सकता आप दिनिया के किसी भी कोने में हो ये नियम अचल ही रहेगा ! आइनस्टाइन का सूत्र  E = mc2 इसी तरह सनातन सत्य है !

*अगर हम टेलिपथी की बात करे तो उसमे हर बार एक ही परिणाम नहीं मिलता ! एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति के विचारो को प्रतेक्ष या परोक्ष रूप से संपर्क में आये बिना जान लेता है इस बात की कोई गेरेंटी नहीं है ! किसी भी व्यक्ति के मन के विचारो को मनोमन जानना वैसे भी अस्वाभाविक लगता है ! फिर भी कई शंसोधक काफी सालो से इस पर रिसर्च चला रहे है ! क्यों की थोड़े बहोत प्रयोगो में उन्हें आश्चर्यजनक रिजल्ट मिले है !

*अमेरिकन नौकादल की अनुसबमरीन 'नोटिलस' 1959 में लगातार 16 दिन एटलांटिक महासागर के भीतर चल रही थी तब नाविकों के साथ एक नागरिक भी था ! टेलिपथी द्वारा उसने कई चित्र अपने मित्र को भेजे मतलब की वैचारिक रूप से अपने मित्र को भेजे !उसका मित्र 1600 किलोमीटर दूर अमरीका के मेरीलेंड राज्य में था ! जहा अमेरिकन नौकादल के कुछ अफसर स्थिरता से उसका मॉनिटरिंग कर रहे थे ! यह मित्र सभी चित्रों को नहीं रिसीव कर पाया लेकिन थोड़े बहुत चित्रों को ठीक इसी प्रकार से ड्रो करके बताये जैसे भेजे गए थे ! संभव है की बाय चांस ऐसा हुआ हो ! लेनिक अमेरिकन नौकादल को तो सिर्फ रिजल्ट के साथ ही मतलब था ! इसीलिए 1970 की शुरुआत में उसने टेलिपथी के कथित जानकारों को 'स्केट' और 'स्कीपजेक' नामक अनुसबमरीन में लम्बी सफर के लिए भेजा ! इस जानकारों ने किसी भी तरह के संचार माध्यम के बिना अपने अमेरिकन निवासी दोस्तों के साथ विचारो का आदानप्रदान किया ! अमेरिकन नौकदाल ने कुछ दिनों बाद कहा की यह प्रयोग 75% सफल हुए थे !  

*रशिया के 'नउका इ जीजन' (विज्ञान और जीवन) नामक सायन्स मेगेजीन ने 1967में अपने वाचको को जानकारी दी की रशियन नौकादल ने भी टेलिपथी के प्रयोग करके बहुत ही अच्छे परिणाम प्राप्त किये थे ! नौकादल की अनुसबमरीन 'वित्याज' में बैठे हुए उस्ताद ने सेंकडो कीलोमीटर दूर अपने दोस्त को सबमरीन का भौगोलिक स्थान टेलिपथी के माध्यम से कह दिया ! इस मैगज़ीन ने लिखा की 50% से भी ज्यादा प्रयोगो में कामयाबी हासिल हुयी थी !    

*और अब बात करते है इजरायल के उस यूरी गेलर के बारे में उनके लिए कहा जाता है की एक शंसोधक ने जेसे तेसे एक खुर्सी का चित्र बनाया और यूरि गेलर ने उस चित्र को देखे बिना उसकी अच्छी तरह से नक़ल बना दी ! 



*इन तीनो उदारणो का सार यही निकलता है की पसंद अपनी अपनी ! और शुरू में जेसे कहा गया की टेलिपथी विज्ञान नहीं है क्यों की होता तो सभी प्रयोग 100% सफल होते !



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