महाभारत जिन्हो ने रची वह वेदव्यास वास्तव में कोन थे ?
- कुछ इतिहास शोधकर्ता के अनुसार महाभारत का युद्ध इ सा पूर्व 22 नवम्बर 3067 को हुआ था यानि की आज से करीबन 5076 साल पहले हुआ था उसके कुछ ही साल बाद महाभारत की रचना हुई थी! महर्षि वेदव्यास का जीवन काल भी इसी सालो के अंदर का माना जाता है। पुराणों के मुताबिक महर्षि वेद व्यास ईश्वर के 24 अवतारों मे से 21वे अवतार है। दूसरी और महर्षि वेदव्यास भारतीय पुराण के 7 ऐसे लोगो मे से है जो की अमर हे, इसीलिए वेदव्यास की मृत्यु का कोई भी वर्णन महाभारत या किसी भी दूसरे पुराण में नहीं मिलता है। वेद व्यास का पूरा नाम कृष्णा द्वैपायन है। उनका जन्म यमुना नदी के कल्पी द्वीप पर हुआ था जो जगह आज उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित है।धुप में कठोर तपस्या करने के कारन उनकी त्वचा का रंग काला हो गया इसी लिए उनके नाम में कृष्णा जुड़ गया, द्वीप पर जन्म होने के कारन ही उनका नाम द्वैपायन पड़ा।
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- वेदव्यास की प्रतिभा के बारे में बात करे तो ऐसा कहना ज़रा भी अतिसयोक्ति नहीं होगी की वेदव्यास ने भारतिय साहित्य को जो उचाईया दी वह आज तक कोई भी ऋषि नहीं दे पाया। समयफलक पर देखा जाये तो वेदव्यास का जन्म उस दौर में हुआ था जब दुनिया के पास पेपर या किसी भी और तरह का लिखाई और पढाई का सामान उपलब्ध नहीं था (Paper की शोध ई सा पूर्व 100 में Ts'ai Lun के द्वारा चीन में हुई थी) । वह दौर शाब्दिक ज्ञान को वाचा के रूपमे फ़ैलाने का दौर था। आपको जानकर हैरानी होगी (खास तौर पर इस दौर में जहा याद रखने का पूरा काम अब कम्प्यूटर्स और मोबाइल फोन्स करते है) की वेदव्यास को उस समय अपनी शिक्षा लेने के बाद उन्हें पूरा वेद कंठस्थ था। उस समय चारो वेद का समन्वय एक वेद में था बादमे जाकर कृष्ण द्वैपायन ने उसे कंठस्थ करके उन्हें ४ अलग अलग विभागों में बाँट दिया उनके इसी भगीरथ कार्य की वजह से उनका नाम वेदव्यास पड़ गया जो की लोगो की जीभा पर बस गया। वेदव्यास में व्यास का मतलब होता है "अलग करने वाला"।
- वेदो को अलग करने के बाद वेदव्यास अपनी व्यास पीठ को छोड़कर हस्तिना पुर गए जहा पर उनको धृतराष्ट्र द्वारा बुलाया गया था।धृतराष्ट्र वेदव्यास को अपनी कई समस्या के समाधान के लिए अक्सर बुलाया करते थे क्यों की वेदव्यास उस समय सबसे बड़े बुद्ध थे। महाभारत में एक प्रसंग है जहा वेद व्यास कहते है की "यह युद्ध को रोकना नामुमकिन है चाहे कितने भी प्रयास करलो युद्ध तो हो कर रहेगा" यह देख कर लगता है की वेदव्यास पहले से ही भूत और भविष्य का ज्ञान रखते थे। और दूसरी और वेद व्यास ने संजय जो की धृतराष्ट्र के सारथी थे और गीता सुनने वाले दूसरे प्रत्यक्ष श्रोता को अपनी योग शक्ति से दिव्य दृष्टि भी दी थी (CLICK HERE : योग के बारे में ज्यादा जानने के लिए)। जिससे संजय धृतराष्ट्र के महल में बैठ कर भी पूरी महाभारत देख सके और धृतराष्ट्र को सुना सके (4G??) । यह सभा घटनाये प्रमाण देती है की वेदव्यास न तो सिर्फ साहित्य में इतने पारंगत थे बल्कि योग में उनका विकल्प उस समय कोई नहीं था ।
FYI :
- महाभारत के मुताबिक वेदव्यास धृतराष्ट्र और पाण्डु के परोक्ष पिता है। कुरु वंश में भीष्म राजा सांतनु की प्रथम पत्नी गंगा के पुत्र थे, गंगा के महल छोड़ने के बाद राजा सांतनु एक ऋषि पुत्री सत्यवती के प्रेम में उनसे विवाह के लिए तैयार हुए लेकिन अपने पुत्र भीष्म का महत्व उन दोनों के पुत्र के आने से काम न हो जाए इसी लिए सांतनु ने दूसरा विवाह करना योग्य न समजा। यह बात जब भीष्म को पता चली तो भिस्मा ने प्रतिज्ञा ली की वह कभी विवाह नहीं करेंगे और हस्तीना पुर की गद्दी पे भी सांतनु और सत्यवती का पुत्र ही बैठेगा। भीष्म एक सभा में एक राजा की दो पुत्रिया जित के लाये जिनका नाम अम्बिका और अम्बालिका था। भीष्म का तो अविवाहित रहने का व्रत था तो उन्हों ने वह लड़कियों का विवाह अपने भाई विचित्रवीर्य से करवा दीया जो की सत्यवती के दूसरे पुत्र थे । क्या दूसरे पुत्र? अब आप पूछेंगे की अगर विचित्रवीर्य दूसरे पुत्र थे तो सत्यवती के प्रथम पुत्र कौन थे !!!? सत्यवती के प्रथम पुत्र खुद वेदव्यास थे जोकि परासर मुनि और सत्यवती के सहवास से जन्मे थे। इसी तरह वेदव्यास विचित्रवीर्य के भाई होते है । जब विचित्र वीर्य की दो पत्नियों को संतान प्राप्ति नहीं हुई तब "नियोग"(सोचिये ज़रा, भारत की संस्कृति को ऐसे ही महान और वैज्ञानिक नहीं कहा गया है, जब दुनिया की आधी प्रजाति अदि मानवो की तरह जी रही थी तब भारत में यह सब तकनीक उपलब्द्ध थी) की पद्धति से वेदव्यास की मदद से अम्बा और अम्बालिका को एक एक पुत्र हुए जिसमे बड़े का नाम पाण्डु था और छोटे का नाम धृतराष्ट्र!
FYI :
- पाण्डु और धृतराष्ट्र के आलावा वेदव्यास के "नियोग" की मदद से अम्बिका और अम्बालिका की दासी को भी एक पुत्र जन्मा जो की महाभारत के 5 सबसे बुद्धिमान पत्रों (वेदव्यास, भीष्म, कृष्ण, विदुर, शकुनि) में से एक बना जिसका नाम था "विदुर"!!! इस तरह पाण्डु, धृतराष्ट्र और विदुर एक ही पिता के पुत्र थे जिनका नाम था वेदव्यास।
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