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आइंस्टीन का सापेक्षवाद, क्या TIME Travel वाकई में मुमकिन है? (Einstein's The Theory Of Relativity and Time Travel )

आइंस्टीन का सापेक्षवाद, क्या TIME Travel वाकई में मुमकिन है? (Einstein's The Theory Of Relativity and Time Travel )


  • फ्रेंच भाषा के कारण कई बार फ़ैल हो चुके 24 वर्षीय आइंस्टीन को बोहोत कोसिसो के बाद आखिकार स्विस के बर्न शहर की पेटेंट ऑफिस(Federal office of intellectual properties) में एक नौकरी मिली । विवाहित और एक बच्चे के पिता युवा आइंस्टीन को यह नौकरी भी अपने पिता के द्वारा उनके चाचा को की गई बोहोत सिफारिसो के बावजूद भी उन्हें तीसरी कक्षा के क्लार्क के पद से ही सांतोस मानना पड़ा । लेकिन यह बात सही है की 13 साल की उम्र से ही आइंस्टीन की फिजिक्स और गणित में इतनी रूचि थी की वह पुरे दिन उन्ही में डूबे रहा करते थे. आइंस्टीन जब 11 साल के थे तब उनके पिता हेरमान आइंस्टीन जो की एक इनजीनियर थे वह एक दिन एक दिशा मापक यन्त्र घर पर लाये उसके प्रति आइंस्टीन की उत्सुकता इतनी ज़्यादा देख कर उनके पिता भी दंग रह गए । पेटेंट ऑफिस में काम करते करते और वह आ रहे रोज़मर्रा की नई नई खोजो और संसोधनो की पेटेंट अर्ज़िया को solve करते करते युवा आइंस्टीन का दिमाग इतना तेज़ हुआ की आगे जाके उन्होंने एक ऐसी theory को जन्म दिया जिसके बारे में कहा जाता है की उसे अपने प्रथम दौर में सिर्फ दुनिया के  3 % लोग ही समज पाए थे । 




  • The theory  of relativity : Special theory of relativity (1905) and Time Travel 



30 जून 1905  को स्विट्ज़रलैंड के फिसिस्क्स सामायिक "Annalen der Physik" के एडिटर ऑफिस को सुबह एक पोस्ट मिला जिसमे कई सारे research papers और thesis थे । Editor ने सायद सोचा भी नहीं होगा की "Zur Elektrodynamik bewegter Körper" (On the Electrodynamics of Moving Bodies) नामक शीर्षक वाला यह रिसर्च paper दुनिया में तहलका मचा देगा । एडिटर ने वह research paper 3 महीने बाद अपने magazine में प्रकाशित किया । उस समय वह magazine दुनिया का सबसे पुराना physics journal (Founded :1799) होने के कारण बहुत प्रचलित भी था इस लिए आइंस्टीन के वह papers पूरी दुनिया में पढ़े गए । कई लोगो और वैज्ञानिको ने यह theory को समजे बिना ही अस्वीकार किया कईओ ने समर्थन भी किया । लेकिन acceptance से ज़्यादा यह theory को rejection अपने शरुआती दौर में मिला । फिर धीरे धीरे समय बिताने पर और विविध विज्ञानिको के इस theory की अलग अलग परिमानो में परीक्षित करने पर यह theory की सत्यता को और बढ़ावा मिला । 1905 से ले कर 2018 के आज दिन तक यह theory को गलत साबित करने के लिए कई मेघावी वैज्ञानिकोने बोहोत सारे निष्फल प्रयास किये है । ( For  example : Nutrino ) 

सापेक्षवाद ने कई प्रतिष्ठित वैज्ञानिको की theories को जड़ से उखड कर फेका है । उदहारण के तौर पर general theory ने newton की how gravity works के पुरे concept को ही बदल दिया जिस से modern gravity definition बनी है । Theory of relativity को modern  फिजिक्स की नीव कहा जाता है । दरअसल सापेक्ष वाद दो अलग अलग theories को प्रक्षेपित करता है जिसमे पहली है special theory of  relativity और दूसरी है general theory of relativity । प्रथम theory अल्बर्ट आइंस्टीन ने 1905 में रची थी और दूसरी theory अल्बर्ट आइंस्टीन ने 10 साल बाद 1915 में रची दोनों ही अपने आप में अजोड़ वैज्ञानिक रचनाये है । 1905 आइंस्टीनने दूसरी एक theory  Photoelectric effect भी रची थी जिसकी बुनियाद हमारा आज का पूरा टेक्नोलॉजिकल जीवन चलता है जिसकी बात हम बादमे करेंगे ।   

 special theory के अनुसार ब्रम्हांड में कुछ भी अचड़  या स्थाई नहीं है सब कुछ दृस्टिकोण (Reference Frame ) पर निर्भर करता है ।. ब्रम्हांड में सबकुछ एक दूसरे पर निर्भर है सिवाय प्रकाश की गति के जो की 2,99,792.458 प्रति सेकण्ड है । एक दृस्टि से देखा जाये तो यह सब नियम सुस्क दीखते है और प्रथम दृस्टि में इसका महत्व हमें समजमे भी नहीं आता । लेकिन इसके सुचितार्थ को अगर हम समजे ने की कोसिस करे तो यह नियम 24 कैरेट के सोने के सामान है जिसमे कभी जंग नहीं लगता । प्रथम सुचितार्थ यह है की समय निरपेक्ष नहीं है सापेक्ष है, समय का बहाव स्थिति और संजोग के अनुसार बदलता रहता है (उदाहरण के तौर पर एक अंतरिक्ष यान) । पदार्थ की गति जैसे बढाती है वैसे ही समय का बहाव वह पदार्थ के लिए धीमा होता जाता है और वह पदार्थ का दल उतनी ही तेज़ी से बढ़ने लगता है । जैसे की अगर कोई अंतरिक्ष यान ब्राम्हण में प्रकाश की गति के जैसे-जैसे करीब होता जाता है वैसे-वैसे वह अंतरिक्ष यान के लिए या उसमे बैठे मुसाफिर के लिए समय उतनी ही गति से धीमा होता जाता है । जैसे ही वे यान प्रकाश की गति की 100 प्रतिसद की गति हासिल कर लेता है उस वक्त वह यान के अंदर की समय की गति जीरो हो जाती है और यान का दल अनंत हो जाता है । दल अनंत होने के कारण प्रकाश जितनी गति हासिक करना असंभव है । दूसरा सुचितार्थ यह है की पदार्थ की गति बढ़ने से यान की लम्बाई भी कम होती जाती है । Special theory के इसी बीज को पकड़ के Time Travel का वृक्ष फलफूल रहा है यही वृक्ष यह प्रश्न का जवाब दे सकता है की Time Travel क्या वाकई में मुमकिन है? क्या हॉलीवुड की वह फिल्मे The time machine , Back to the future, Star wars  की तरह हम भी Time Travel कर सकते है या नहीं? क्या ऐसी कोई machine वाकई में बनाई जा सकती है?

वेल,Theoretically यह बात तो तय है की Time Travel वाकई में संभव है अगर कोई ऐसा यान बनाया जाए जो की प्रकाश की 99%गति हासिल कर सके तो वह यान अपने आप अंतरिक्ष में टाइम ट्रेवल करने लगेगा । लेकिन मानव जाती के लिए यह दिन अभी बोहोत दूर है क्यों की अभीतक इंसानो ने जो highest speed का अंतरिक्ष यान बनाया है उसकी गति भी 17000km / sec (Voyager-२) है ।  प्रकाश की गति तक पोहोचने के लिए अभी इंसानो को बोहोत सफऱ तय करना पड़ेगा । एक दृष्टि से देखे तो मंज़िल बहोत दूर नहीं है क्यों की जब इंसानो के पास वाहन नहीं थे तब इंसान 2 km / hr दर से सफर करता था । पिछले २०० साल में bike से ले कर motor car तक इंसानो अपनी सफर तय करने की गति 340 गुना बढ़ा ली है । फिर भी वर्त्तमान में यह नामुमकिन काम है ।


FYI 

अपने school के दिनों में और अपने सामाजिक

जीवन में आइंस्टीन आस पास के लोगो के लिए एक Good for nothing इंसान थे । यानि की उसके आस पास के लोग उसे किसी काम के नहीं हो वैसे आदमी समझते थे । बचपन में वह dyslexia नामक मानसिक बीमारी से पीड़ित थे ऐसा कहा जाता है (तारे ज़मी पर?) उनकी 8साल की उम्र तक तो वह बोलना भी नहीं सीखे थे । इस बीमारी में बचमन से ही पढ़ने लिखने में धिक्कते आती है । लिओनार्दो-दा-विन्ची(No.1 Genius on the list of 'top 100 
geniuses of 20th century' list of TIME Magazine) और पाब्लो पिकासो जैसे महान और प्रतिभावान लोग भी इस बीमारी से पीड़ित थे ।


यान की गति के प्रतिसत के हिसाब से समय का संकोचन बोहोत मात्रा में होता है । अगर यान की गति प्रकाश की गति के 10 % है तो समय का बहाव 100% से घटके 99.5 % हो जाता है, वैसे ही अगर 20 % यान की गति है तो समय का बहाव 98.0 % हो जाता है । वैसे ही अगर यान की गति ९९.९९ % प्रकाश की गति के बराबर है तो यान के अंदर के समय का बहाव 4.471 % हो जाता है यही होता है TIME Travel  


E = mc2 दुनिया का सबसे प्रसिद्ध वैज्ञानिक सूत्र है जो दर्शाता है की दल(M =Mass) है वही ऊर्जा (E = Energy) इस सूत्र में c प्रकाश की गति को दर्शाता है । गति को लेटिन भाषा में Celeritas कहा जाता है इसी पर से आइंस्टीन ने प्रकाश की गति को दर्शाने के लिए "C" को चुना ।

Image source : Google




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